हनुमान आरती No Further a Mystery
हनुमान आरती No Further a Mystery
Blog Article
सामग्री पर जाएँ मुख्य मेन्यू मुख्य मेन्यू
भावार्थ — हे हनुमान जी ! आपके पास कोई किसी प्रकार का भी मनोरथ [ धन, पुत्र, यश आदि की कामना] लेकर आता है, (उसकी) वह कामना पूरी होती है। इसके साथ ही ‘अमित जीवन फल’ अर्थात् भक्ति भी उसे प्राप्त होती है।
illnesses will be finished, all pains will be gone, when a devotee constantly repeats Hanuman the courageous’s title.
अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
एक मुख वाले (नारायण), चार मुख वाले (ब्रह्मा), पांच मुख वाले (शिव) हैं।
“श्री रामचन्द्र जी के महल द्वार के आप ही रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिल सकता है, अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना श्री राम कृपा दुर्लभ ही है।”
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
भावार्थ check here – आपके भजन से लोग श्री राम को प्राप्त कर लेते हैं और अपने जन्म जन्मान्तर के दुःखाँ को भूल जाते हैं अर्थात् उन दु:खों से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
भावार्थ – अनन्त काल से आप भगवान श्री राम के दास हैं। अत: रामनाम-रूपी रसायन (भवरोग की अमोघ औषधि) सदा आपके पास रहती है।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
व्याख्या – भक्त के हृदय में भगवान् रहते ही हैं। इसलिये भक्त को हृदय में विराजमान करने पर प्रभु स्वतः विराजमान हो जाते हैं। श्री हनुमान जी भगवान् राम के परम भक्त हैं। उनसे अन्त में यह प्रार्थना की गयी है कि प्रभु के साथ मेरे हृदय में आप विराजमान हों।
व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।
कण-कण में शिव Fb twitter youtube instagram pinterest linkedin
ब्रह्मकी दो शक्तियाँ हैं — पहली स्थित्यात्मक और दूसरी गत्यात्मक। श्री हनुमन्तलाल जी गत्यात्मक क्रिया शक्ति हैं अर्थात् निरन्तर रामकाज में संनद्ध रहते हैं।
Report this page